उत्तराखंड संस्कृतियों से समृद्ध प्रदेश है, जहां के लोग देवी–देवताओं में विश्वास करते हैं और उन्हें लोक कला, लोकचिह्नों और कलाकृतियों का भी बहुत प्रेम है। इसी संदर्भ में, ऐपण भी उन्हीं कलाकृतियों में से एक है। यह लाल और सफेद रंगों की लाइनें से बनती है और इसका महत्व विभिन्न शुभ अवसरों और त्योहारों में बढ़ता है। ऐपण कला को कुमाऊं की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है, और यह अब युवाओं की जिम्मेदारी है कि इस कला को संरक्षित रखा जाए।
आज के समय में, दीपावली के अवसर पर हर उत्तराखंडी घर में ऐपण का आयोजन किया जाता है। यह न केवल एक परंपरागत कला है, बल्कि यह युवाओं की शानदार प्रतिष्ठा भी है। लेकिन, बाजारीकरण के चलते, यह पारंपरिक रूप से बनाए जाने वाले ऐपण के स्थान पर रेडीमेड स्टीकर्स का उपयोग किया जाने लगा है। इससे ऐपण कला की महत्वता और उसका अद्भुत सांस्कृतिक महत्व कम नहीं हुआ है, परन्तु युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस प्राचीन कला को समाज में जीवित रखें और उसकी प्रशंसा करें।
युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति और धरोहर के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए, उन्हें ऐपण कला के महत्व को समझना और उसे बचाव में लाने के लिए कठिन प्रयास करने की आवश्यकता है। वे अपने घरों में ऐपण कला को बढ़ावा देने के साथ–साथ, स्थानीय कलाकारों का समर्थन करके उनके योगदान को महत्वपूर्ण बना सकते हैं। इस प्रकार, उन्हें अपनी संस्कृति के प्रति अपने प्रेम को साझा करने का मौका मिलेगा और वे अपने पूर्वजों की प्रतिष्ठा को बचाएंगे।